Friday 19 April 2013

बिना टीईटी के नहीं बन सकेंगे सहायक अध्यापक



अध्यापक पात्रता परीक्षा(टीईटी) सभी के लिए अनिवार्य है। एनसीटीई ने किसी भी वर्ग को इससे छूट नहीं दी है। स्नातक बीएड डिग्री धारकों को भी इस अर्हता से मुक्त नहीं रखा गया है।

सहायक अध्यापक भर्ती में टीईटी की अनिवार्यता के प्रश्न पर सुनवाई कर रही फुल बेंच के सामने एनसीटीई ने यह स्पष्टीकरण दिया है।

एनसीटीई के अधिवक्ता रिज़वान अली अख्तर ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि 23 अगस्त 2010 को जारी अधिसूचना के प्रथम प्रस्तर में ही यह स्पष्ट कर दिया गया है कि टीईटी अनिवार्य अर्हता है।

जहां तक प्रस्तर तीन में स्नातक बीएड के संबंध कही गई बात का प्रश्न है उसका अर्थ यह नहीं समझा जाना चाहिए कि उन पर टीईटी की बाध्यता नहीं है।

अधिसूचना के पांच पैराग्राफ में पहला अर्हता से संबंधित है तथा शेष चार पैराग्राफ पहले पैराग्राफ की व्याख्या और स्पष्टीकरण है। सुनवाई पूरी होने के बाद फुल बेंच ने अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है।

बहस के दौरान प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता सीबी यादव ने भी कहा कि एनसीटीई का नोटिफिकेशन आने के बाद बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली 1981 में संशोधन कर दिया गया है।

अब प्राथमिक विद्यालयों में टीईटी के बिना कोई नियुक्त नहीं हो सकेगा।

हालांकि अपर महाधिवक्ता ने विशिष्ट बीटीसी और बीटीसी अभ्यर्थियों की नियुक्ति के संबंध में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। उनका कहना था कि इस मामले को किसी याचिका में चुनौती नहीं दी गई है।

विशिष्ट बीटीसी अभ्यर्थियों ने कहा कि वह प्रशिक्षित हैं और नियुक्ति प्रक्रिया के तहत चयन हुआ है, इसलिए उनको टीईटी से छूट दी जाए।

प्रदेश सरकार का कहना था कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम में भी सहायक अध्यापक नियुक्ति के लिए टीईटी होना अनिवार्य है।

विशिष्ट बीटीसी 2004 की नियुक्ति को लेकर अधिवक्ता आलोक मिश्र ने कहा कि इनका चयन टीईटी की अनिवार्यता लागू होने से पूर्व हो चुकी थी इसलिए टीईटी पास किए बिना नियुक्ति दी जाए।

केंद्र सरकार के अपर सॉलीसिटर जनरल आरबी सिंघल का कहना था कि एनसीटीई को न्यूनतम योग्यता निर्धारित करने का अधिकार है, जो पूरे देश में बाध्यकारी होगा। 

source:amar ujala news paper
dated:18-04-2013

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