Thursday, 11 April 2013

यूपी में जून तक भर्ती होंगे शिक्षक, तैनाती जुलाई में



उत्‍तर प्रदेश्‍ा में उर्दू शिक्षक को भर्ती करने की कवायद शुरू हो गई है। राज्य सरकार मोअल्लिम और डिप्लोमा इन टीचिंग करने वालों की चयन प्रक्रिया जून तक पूरी कर लेगी और जुलाई में उर्दू भाषा शिक्षक के रूप में तैनाती दे देगी।

बेसिक शिक्षा निदेशालय से इसके लिए जिलेवार रिक्तियों का ब्यौरा मांग लिया गया है। इसके आधार पर जून में टीईटी के साथ या अलग से परीक्षा कराते हुए चयन प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

उत्तर प्रदेश में मोअल्लिम-ए-उर्दू और अलीगढ़ विश्वविद्यालय से डिप्लोमा इन टीचिंग करने वालों को वर्ष 1997 से पूर्व तक उर्दू भाषा शिक्षक के रूप में रखा जाता था। पर 11 अगस्त 1997 को इस उपाधि को भाषा शिक्षक के लिए अपात्र मान लिया गया।

मोअल्लिम वालों को हाईकोर्ट से राहत मिली तो राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका दाखिल कर दी।

बसपा सरकार ने वर्ष 2011 में सुप्रीम कोर्ट से विशेष अनुज्ञा याचिका वापस लेकर उर्दू भाषा शिक्षक के रूप में रखने का निर्णय किया था, लेकिन विधानसभा चुनाव आने की वजह से इनकी भर्ती नहीं हो सकी।

प्रदेश में सत्ता बदलने के बाद मोअल्लिम वालों ने अखिलेश सरकार पर बिना टीईटी दिए भर्ती के लिए दबाव बनाना शुरू किया और यह काम कर गया।

राज्य सरकार ने अब टीईटी की तर्ज पर अलग से परीक्षा कराने का निर्णय करते हुए जिलों से उर्दू शिक्षकों के रिक्त पदों का ब्यौरा मांगा है।

इसके पहले जून के आखिरी सप्ताह में टीईटी के साथ या फिर अलग से परीक्षा कराकर चयन प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद जुलाई में स्कूल खुलते ही तैनाती दे दी जाएगी।

अलग से टीईटी पर फंस सकता है विवाद

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने शिक्षा का अधिकारी अधिनियम लागू होने के बाद बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षक रखने के लिए टीईटी अनिवार्य कर दिया है। इसका प्रारूप भी निर्धारित है।

इसके बाद भी राज्य सरकार द्वारा टीईटी की तर्ज पर अलग से परीक्षा कराने का निर्णय आगे चलकर विवादों में फंस सकता है।

इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि वर्ष 2004 से 2010 सत्र के वे प्रशिक्षित जिन्हें देर से प्रशिक्षण मिला और उत्तर प्रदेश में जुलाई 2011 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम नियमावली लागू होने के बाद उनके लिए भी टीईटी अनिवार्य कर दी गई। जबकि, इसी सत्र के समय से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले शिक्षक बन चुके हैं।

ऐसे में ये प्रशिक्षक अलग से टीईटी की मांग कर सकते हैं या न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

source:amar ujala
date:10-04-2013

0 comments:

Post a Comment

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...