प्रदेशभर के सहायता प्राप्त स्कूलों में कार्यरत करीब 17 हजार शिक्षकों की नौकरी पर संकट है। इन शिक्षकों को माध्यमिक शिक्षा विभाग ने सरप्लस घोषित कर दिया है। विभाग के मुताबिक इनकी स्कूलों में कोई जरूरत नहीं है।
उधर, शिक्षा विभाग के इस फैसले के खिलाफ मंगलवार को माध्यमिक शिक्षक संघ ने मोर्चा खोल दिया। संगठन ने इस फैसले के विरोध में प्रदेशभर में मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार करने की घोषणा भी की है।
संगठन ने मंगलवार को राजधानी के कालीचरण इंटर कॉलेज में आयोजित एक प्रेसवार्ता में विभाग द्वारा किए गए जनशक्ति निर्धारण पर सवाल उठाए हैं। संगठन के प्रदेश मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ राय की मानें तो इस जनशक्ति का निर्धारण 1986 की छात्र संख्या को आधार बनाकर किया गया है जबकि 27 वर्षों में यह छात्र संख्या कई गुना बढ़ चुकी है।
उनकी मानें तो असंगत तरीके से किए गए इस जनशक्ति निर्धारण के कारण प्रदेश के तमाम स्कूलों को शिक्षकों की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, शिक्षकों का भविष्य भी खतरे में है। रिपोर्ट की खामियों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि राजधानी के मलिहाबाद स्थित महात्मा गांधी इंटर कॉलेज की छात्र संख्या 1105 है।
वहीं, विभाग की रिपोर्ट में यहां शिक्षकों के लिए सिर्फ आठ पदों की संस्तुति की गई है। इसी तरह नवयुग कन्या इंटर कॉलेज की 2177 छात्रों के लिए मौजूदा व्यवस्था से 24 पदों को घटाने की संस्तुति की गई है।� डॉ. महेंद्रनाथ राय ने बताया कि इसी जनशक्ति निर्धारण के आधार पर विभाग ने बलिया के 300 शिक्षकों की तनख्वाह बीते दो सालों से रोक रखी है।
यही नहीं, सेवानिवृत्ति पर पहुंच चुके कई शिक्षकों को रिकवरी तक के आदेश दिए जा चुके हैं। संगठन ने विभाग से इस फैसले को जल्द वापस लेने की मांग की है।
Source:amar ujala
dated:3-4-2013
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